Thursday 30 May 2013

मीरा,शबरी के हिस्से तपस्या आती है,हरि को हमेशा राधा,सिया ले जाती है


"मैं खामोश नदी बहती,तुम विस्तृत सागर जैसे,
 टेढ़ी मेढ़ी बहकर ही,कभी तो तुममे मिल जाउंगी"!


"मन मेरा जैसे गंगा,तुम इस पर बहते दीपक, 
अक्स तुम्हारा थामे मैं,कल कल बहती जाउंगी"!
 

"तुम गुजरो जिस पथ से जिस दिन,ध्यान रहे,वहीँ मिलूंगी,
तुम से पहले ही राहों में ,पुष्प मैं बन बिछ जाउंगी" !
 

"नही छुए ऊँगली को ऊँगली,फिर भी पूरी हो जाउंगी!!
 तुम देखोगे एक नज़र मुझे,मैं सारे तीरथ पा जाउंगी"!!
 

"मन मेरा पंचवटी,तुम राम मेरे इस जीवन के, 
बिना मिले बनवास मुझे,मैं बैरागन बन जाउंगी"!!
 

"पाँव पखारूँ 4 पहर,पलकों से पोंछूं घाव सभी, 
मैं पट्टी बन कर बाहों की,चरणों में बंध जाउंगी"!!


 <<<<मेरे मंदिर के भगवान न जाने कितनी रिश्वतों को डकार कर बैठे हैं ! 11 , 21 ,31 , 51 , .... का प्रसाद चढ़ाउंगी ,पर अगले जनम में "सुनीता केजरीवाल " बना देना , अगर वो भी नही तो "बिभव" ही बना देना , वरना अरविन्द का चश्मा , शुगर की गोली,  डाइट कोक, नीली वेगनार की आगे की सीट, मूछें, कौशाम्बी ऑफिस की वो वाली कुर्सी, दाल वाली नमकीन ही बना देना ! "सुनीता केजरीवाल"  के इतने विकल्प दिए हैं , क्यूंकि हम तो जाने ही विकल्प के लिए जाते हैं !

रामलीला मैदान से वापिस आकर जब अखबार में "अरविन्द" की फोटो ढूंढनी शुरू की, और उनकी फोटो काटकर पलंग पर उल्टा लेटकर देखनी शुरू की, तो किसको क्या कहाँ पता था, कि ये बात इतनी दूर तलक जायेगी !

पर कहानी तो शुरू हो गयी ! शाहिद कपूर शहीद हो गया ,सलमान का साल निकल गया, अब तो सपनो में एक ही हीरो बिना टोल टैक्स आ जा सकता था ! मेरी किताबों के पन्ने उलटो तो अब भी कहीं न कहीं अरविन्द का चेहरा दिख ही जाएगा !

जो शायर , जो कविता , वक़्त की परतों में दफन हो चुकी थी, उसे ग़ज़ल मिल गयी ! अब तो निगाहें लिखने लगी और तमन्नाएं उड़ने लगी !

जब पलंग के सिराहने पर वो फोटो लगाई , तो आप क्या जाने अरमान कौन से आसमान पर थे ! पुरानी प्रेमिकाएं जैसे शरमाया करती हैं, वो मेरा हाल था ,, और उन प्रेमिकाओं के पिता जितने बड़े दुश्मन साबित होते थे, उससे कम मेरे पापा नही थे ! भाड़े के टट्टुओं का काम 5 साल की भतीजी ने किया ! जब एक दिन इंस्टिट्यूट गयी, तो वो फोटो गायब कर दी !  पर इकतरफा इश्क कहाँ मरा करता है ! लाख पहरे लगा लो, मोहब्बत झरोखे में से उड़ जाती है जहाँ नापने ! पलंग से तस्वीर हटी,  तो आँखों में बस गयी !  जैसे इच्छाधारी  टार्गेट आँखों में बसा लेती है, मैं एक दम फोकस हूँ , अपने टार्गेट पर !

कभी  कभी तो यहाँ तक मन किया, कि खुद का नाम "भ्रष्टाचार" रख लूं ! कम से  कम अरविन्द की  जुबां पर हर वक़्त रहेगा तो, पर फिर ख्याल आया कि इसे तो वो दूर करना चाह रहे हैं, मैं चंचल ही ठीक हूँ !

इतनी बार मिली हूँ, पर उँगलियों पर गिन सकती हूँ  जितने शब्द बोले हैं अरविन्द ने मुझसे और मैंने अरविन्द से ! मुझे उनसे बात करने का जूनून नही है,  उनकी नज़रों के आस पास रहने की ख्वाहिश भी नही है ! मैं पीछे नही भागती ! एक बार जुलाई अनशन के वक़्त जब अरविन्द सबसे मिलने आये , तो अनशनकारियों में अकेली थी ,जो उठकर नही गयी ! लोगों ने कहा घमंड है, अकड़ है !

पर ऐसा कुछ नही था !  मेरी पहचान ये थी ही नही ! मुझे जनवाना नही था, जानना था !  मैं तो ये  हूँ , जो दिख रही हूँ ! जो अब हूँ ! मेरे लिए एक मुस्कराहट हज़ार मुलाकातों से बढ़कर  है !  मैं बंद कमरे में बैठ कर , अरसे तक अकेली उनके बारे में सोच कर गुज़ार सकती हूँ  !  मुझे दीवानगी दिखाने  के लिए कुछ अलग हटकर करने  की  जरुरत नही है ,  ये चाहत  ही मेरी शख्सियत बन  गयी !

एक रात नही गुजरी  जब इन्ही का सपना न आया हो ! वो अलग बात है , उन रात में मैं सोयी नही ! जब मैं कोई शायरी ,  कोई कविता , कोई इज़हार लिखती हूँ , दुनिया एक दम फ़िल्मी रिश्तेदारों की तरह आ ., आउच,..उफ़,..करने आ जाती है ! कोई दलील देता है , कि अरविन्द बुरा मान जायेंगे , कोई कहता है लोग क्या कहेंगे , कोई कहता है घर में माँ बाप नही है, कोई कहता है क्या बेवकूफी है !
मैं पहले तो इन  सलाहों का जवाब ही नही देती  ! आज इस ब्लॉग में दे रही हूँ , दोबारा मत पूछना , न कहना !

<<<इन्द्रधनुष आसमान में है, सबको देखने का हक है ,उस  पर जाने के सपने देखने का हक है , मेरे लिए ये  यही इन्द्रधनुष है ! सतरंगी ! मनमोहक, आकर्षक, स्वप्न सरीखे !  >>>

<<<सूरज आसमान में है ! क्या सुबह अकेली उस पर दावा करेगी? आसमान का कॉपीराइट है उसकी रौशनी पर ? मेरी यही धूप है ये  , यही उजाला , यही तपिश !>>>

 <<<बादल बरसते हैं, भिगोते हैं , ठंडक देते हैं ! मेरे  लिए  वो यही  सीली सी  , अलसाई सी, कुछ जागी कुछ सोयी सी , बरसात की इक रात है ये  ! >>>

<<< कविता है कोई, उसकी साज़ इसी एक नाम से सजती है, उसकी धुन बस यही एक नाम गाती   है , क्या लिखना छोड़ दूं, क्या गाना छोड़ दूं , क्या साज़ पर थिरकना छोड़ दूं ? >>>

ये दिखावा तो हो नही सकता , क्यूंकि  बदले में कुछ मिलने की शर्त तो हो नही सकती ! जब पत्थर की मूर्ति पूजा अपराध नही, उस पर सजा नही, जेल नही, कैद नही, तो प्रेम पूजा क्या आतंकवाद फैलाती है ! बताओ मेरी चाहत में कहाँ नक्सल वाद की बू है ! किस को शहादत दी , सिवाय खुद के !

अब भैया रपट लिखाय दो, के गिरफतार कराय दो, के दरोगा से मिलवाय दो, ई का तो कछु होने से रहा !





24 comments:

  1. If Not For AK I Will Have To Come To Delhi To Meet Ms. Chanchal Sharma... Your Writing Is Too Engrossing... Keep Writing...

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    1. almost everybody from IIT's has same funda.. If you feel fallen for him, I admire your courage to find something tasteful where not everybody gets success.

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  2. "मन मेरा पंचवटी,तुम राम मेरे इस जीवन के,
    बिना मिले बनवास मुझे,मैं बैरागन बन जाउंगी"!!

    Best lines of urs. :)

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  3. थैंक यू सो मच :)

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  4. Aap bohot acha likhti hai..keep writing

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  5. u r amazing....i am also arvind kejriwal's fan...but now urs as well

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  6. True Love is when you value your lover's happiness more than yours, and make their happiness your first priority. You are amazing, Keep writing.

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  7. ये मूर्खता की पराकाष्ठा है
    जिस प्रकार सूअर को गन्दी नाली ही सबसे अच्छी लगती है ठीक वैसे ही कुछ लोगों को सिर्फ केजरीवाल ही ईमानदार और देशभक्त लगता है

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  8. Dear Chanchal Sharma ji, you're the best. You've no idea of what you've done by writing this blog. This will be considered the sacred inscription of those who are stuck in one-sided love...

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  9. Awesome.. I see a Kumar Vishwas in your writings.. And I am sure, millions are fan of him.. Keep it up... :)

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  10. Ishq de mere mittra pehchan ki...mitt jave jaddo jidd appnaan di...!
    These lines truely fits on your post.
    Written nicely :-)

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  11. Arvind,jee,ap ki meera birah mevtadap rahi hai.isko jaldi milo nahi to yeh to maregi aur ek meera Hema Sharma bhi aagayi hai.Tum to Balika Vadhu ke Jagiya ho.teen teen biwi mil gayi chothi bhi jaldi mil jayegi,islam apna lo aur char char biwi ke sath mouz karo.ISIS zindawad

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  12. आपकी लेखन शैली लाजवाब है।

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  13. a lair resign as commissioner
    never was commissioner
    if not resign another ten years he will be not eligible
    for commissioner
    Ha Ha Ha the man fool people
    the Man "ULLU BANAYA BADA MAJA AYA"

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  14. PROXY WRITING. Kumar vishwas.

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  15. बेचारे इस दिल्ली के ठग को बख्शा नहीं जा सकता क्या?
    अब तो वैसे भी कहीं का न रहा.

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  16. yes all comedians have their followers; http://aamaadmipartychandigarh.blogspot.in/2014/05/please-dont-lie-6.html

    and whether he is a BJP agent or dawood agent u decide; http://aamaadmipartychandigarh.blogspot.in/2014/06/is-kejriwal-dawood-ibrahin-and-isi-agent.html

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  17. बहुत सुंदर लिखा है आपने ....सच में...शब्दो के सहारे एक इंसान को कृष्ण बनाया हो जैसे....

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  18. This comment has been removed by the author.

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  19. Kaash Koi hamein bhi itna beintehaan pyaar karein !@!

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