Wednesday 22 May 2013

सफ़र वहां से यहाँ तक

4 अप्रैल २०११ की बात है  , मैं सो रही थी ,और दीदी का फ़ोन आया कि  टी वी पर बता रहे हैं कोई अन्ना हजारे अनशन पर बैठ रहे हैं ! बहुत बूढ़े हैं और  महाराष्ट्र से हैं ! मैंने पूछा मांग क्या है ? तो पता लगा शायद कोई "जन्लोकपाल नाम का क़ानून है,भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ ,उसी के लिए बैठ रहे हैं अनशन पर ! ठीक है, पर गर्मी है कैसे भूखे रहेंगे, ये सोचा मन में और वापिस सो गयी ! उठकर टीवी चलाया तो फिर ये खबर सुनी ! मन में थोड़ी हलचल हुई ! शायद जाना चाहिए !दिल्ली वालों का दिल बड़ा होता है,ये सोचकर एक बूढा आदमी महाराष्ट्र से यहाँ आक्कर भूखा रहेगा ! फैसला ले ही लिया , चलो होकर आते  हैं ,देख ही आयेंगे अनशन होता कैसे है ! इतनी जल्दी मैं अरसे बाद उठी, और 5 अप्रैल को सुबह 8:30 बजे हम जंतर मंतर पहुँच भी गए ! वहां पहुंचकर ऐसा लगा जैसे वो दुनिया देखि ही नही थी ! मंच लगा था ! लोग तितर बितर थे ! अन्ना और टीम कोई नही आये थे ! लोग आगे बैठने की  होड़ में मंच के आस पास मंडरा रहे थे ! मीडिया के कैमरा पूरे इलाके में टिड्डी गैंग की तरह बिखरे पड़े थे ! अब लोगो  को बिठाने का सिलसिला शुरू हुआ ! कार्यकर्ताओं का समूह पहुँच गया और लोगों से हाथ जोड़कर बैठने की  विनती करने लगा ! लोगों में इतना जोश था की मुझे समझ नही आ रहा था, कि इससे पहले किसी ने क्यों इस उर्जा से लबरेज भीड़ को एक सेना की तरह इस्तेमाल नही  किया ! अब मंच पर हलचल शुरू हुई ! एक एक करके लोग आते गए ! किरण बेदी, कुमार विश्वास, मनीष ,अग्निवेश ......... लोगों में नारे गूँज रहे थे ! वहां बैठे अधिकतर लोग शायद जानते भी नही थे ,कि ये अनशन होने क मकसद  क्या है , पर हाँ इतना सब जानते थे , कि मकसद है नेक और बुराई के खिलाफ है ! भ्रष्टाचार से सब दुखी  थे, और शायद यही एक रिश्ता था वहाँ  बैठे हर एक शख्स के बीच ! तरह तरह के बैनर,मीडिया कैमरों को लेकर लोगों की उत्सुकता , सब देखने लायक थी ! जो सबसे ज्यादा ध्यान खींच रहे थे , वो थे "कार्यकर्ता " ! उस वक़्त कार्यकर्ताओं में कुछ बात थी ! कुछ अलग  था ! सब बहुत धीरज के साथ काम करर्ते थे ! कहीं कोई गुस्सा,कोई खीज कोई चिढ़चिधाहट नही थी ! थोड़ी देर में अन्ना वहां आये ! और फिर जो माहौल बना , उसे लफ़्ज़ों में बयान नही किया जा सकता !  मंच और जानत्ता के बीच एक जगह खाली रखते थे,जहाँ से एक लाइन में लोग निकलते थे और अन्ना को देखते हुए आगे बढ़ते थे ! अन्ना ममे एक जादू था, कुछ ऐसा जो खींचता था ! उनका इतना सादा होना ही शायद उन्हें ख़ास बनाता था ! दिन गुज़रा घर आये,पर जैसे गए थे वैसे नही !एक  इतना अलग एहसास साथ लेकर आये , कि किसे पता था ये ही एहसास पहचान बन जाएगा और जिंदगी बदल देगा ! ऐसे ही अनशन के हर दिन जाना  शुरु हुआ ! अब बारी  थी कहर की :) सादी  सी पेंट में , शर्ट बाहर किये हुए , मूछ वाला एक शख्स स्टेज पर माइक हाथ में ! "कुछ मीडिया वाले दिखा रहे हैं कि किरण जी  और हमारे बीच कुछ अनबन हो गयी है इसलिए वो नही आ रही , अरे भाई ऐसे अफवाह मत फैलाओ,किरण जि का गला ख़राब था ,तबियत ठीक नही थी ,इसलिए वो नही आ पायी "...हमारे बीच कुछ लड़ाई नही है" ! ये थे "अरविन्द" ! इतनी सादगी इतनी ज्यादा कि एक बार उस आवाज़ को सुना और उसके बाद आज तक  कोई आवाज़ नही सुनी ! इतना करिज़्मा , शायद ही पहले  किसी में महसूस किया हो ! और उसके बाद मूछे मेरी फेवरेट हो गयी :) ! चलिए आगे बढे,वरना जिंदगी छोटी पड़ जायेगी ! अनशन के दौरान खबर सरकार और  हमारे लोगों में बातचीत का दौर शुरू हुआ ! लेकिन ये दिखावा ही था ! इतना ढुलमुल रवैया कि समझ नही आता था,क्या सच है यया झूठ ! एक दिन कोई मंत्री हाँ कहता ,दुसरे दिन ना कहता ! बाद में सरकार ने कुछ बातें मानी, सिविल सोसाइटी बनी और अनशन टूट गया ! पर यहाँ लड़ाई ख़त्म नही हुई, बल्कि एक ऐसा सफ़र शुरू हुआ,जिसने अच्छे बुरे ,बहुत अछे और बहुत बुरे दिन दिखाए ! सरकार और सिविल सोसाइटी की बातचीत का दौर शुरू हुआ, और समझ आ गया कि सब चाल थी, इस अनशन को तुडवाने की ! अप्रैल से अगस्त आ गया, और एक बड़ी लड़ाई का बिगुल बज गया ! 16 अगस्त को सुबह सुबह अन्ना और टीम  अनशन के लिए निकल रही थी और गिरफ्तारी का दौर शुरू हो गया ! एक एक करके सब गिरफ्तार होते गए ! अरविन्द ,अन्ना , मनीष सिसोदिया .......सब को गिरफ्तार कर लिया ! किरण बेदी को राजघाट के पास से गिरफ्तार किया ! कुमार विश्वास और प्रशांत कौशाम्बी में थे ऑफिस में ! चिंता थी कि अगर सब गिरफ्तार हो गए तो आन्दोलन बिखर जायेगा ! कार्यकर्ता और आन्दोलनकारी क्या करेंगे ! इतना था कि पुलिस कौशाम्बी ऑफिस पहुँच गयी ! प्रशांत गिरफ्तार हुए,,लेकिन कुमार विश्वास जल्दी से वहां से निकल कर ऑटो में बैठकर छत्रसाल स्टेडियम पहुँच गए, और वहां का बोर्ड हटाकर ,अन्ना स्टेडियम लगा दिया ! पूरे स्टेडियम पर देशभक्तों के हुजूम ने कब्ज़ा कर लिया ! हज़ारों आन्दोलनकारियों को कूमार ने वहीँ रोके रखा ! माहौल ऐसा था, रोंगटे खड़े कर दे ! गिरफ्तार किये हुए लोगों को तिहाड़ भेज दिया ! देश सम्मझ नही पा रहा था , कि आखिर आन्दोलन करने जा रहे लोगों ने ऐसा क्या जुर्म किया कि उन्हें तिहाड़ में रखा गया ! पर मामला उलट गया ! सरकार अपने ही जाल में ऐसी  फंसी ,कि सब पासे उलटे पड़ गए ! तिहाड में अन्ना और टीम को रखने के बाद, कुछ ही घंटों में चौतरफा आल्लोचना से घिरी सरकार ने रात आते आते , अन्ना और सबको बरी लारने का आदेश दे दिया ! पर अब गेंद हमारे पाले में थी !और फिर जो पुलिस और सरकार को नाकों चने चबवाने का काम शुरू हुआ  ! जेलर में सबको छोड़ दिया, पर अन्ना जिद पर अड़ गए कि वो बाहर नही आयेंगे ! बल्कि वहीँ से अनशन जारी रखेंगे ! अन्ना वहीँ खूंटा गाढ कर बैठ गए ! पूरे प्रशासन ने एड्ही चोटी का जोर लगा लिया पर अन्ना नही माने ! इसी बीच हज़ारों समर्थकों का हुजूम जेल के बाहर बैठ गया , और मंजीरों , ढोलक , के साथ देश भक्ति तान छेड़ दी ! वहां अन्ना बाहर आने को तैयार नही थे ! बरसात , आंधी सब आई पर अन्ना बाहर नही आये और समर्थक तिहाड़ की चौखट से तस से मास नही हुए ! किरण बेदी ने अन्ना का एक विडियो जेल में से बनाया, जिसे देखकर लोग फूट फूट कर रोये ! इसी बीछ खबर आई कि सरकार अन्ना को पुणे भेजने की तैयारी में है ! समर्थकों में ये बात फैली और तिहाड़ के दरवाए जाम कर दिए ! एम्बुलेंस आई ,पर अन्दर नही जा पायी !  अन्ना में हिम्मत बहुत थी ! और उससे भी ज्यादा जिद ! इसी बीच अनशन के लिए जगह मांगने का सिलसिला जारी था ! और आखिरी में  रामलीला मैदान तय हुआ ! सुबह सुबह तिहाड़ से अन्ना निकले , और साथ निकला हजारों  समर्थको का एक ऐसा हुजूम ,जिसने अपने अनुशासन से सबको हैरत में डाल दिया ! इन सब में कार्यकर्ताओं की भूमिका अद्वितीय रही ! रामलीला मैदान में जाने से पहले , अन्ना राजघाट गए ! जहाँ बर्र्सात आन पर 3 दिन से भूखे अन्ना का भागना सबको हंसा गया ! अब बारी थी "'अगस्त क्रान्ति" की और एक ऐसी लड़ाई की शुरूवात की,जिसके बाद सब कुछ बदल गया और मुश्किलें इस कदर बढ गयी कि, देश ने सरकार से अपन्ना भरोसा हमेशा के लिए खो  दिया ! अन्ना रामलीला मैदान में 12 दिन अनशन पर बैठे ! हम रोज़ आन्दोलन में जाते !सुबह इंस्टिट्यूट सीधे वहीँ से ऑटो पकडती और रामलीला मैदान पहुँच जाती ! इसी बीच मेरी जिंदगी बिलकुल बदल गयी ! मेरी शख्सियत में ऐसा बदलाव आया .की प्राथमिकताएं , वक़्त की मोहताज़ हो गयी और वक़्त आन्दोलन का मोहताज़ हो गया ! पहले देश भक्ति फिल्मों   से आगे बढ़कर , देश और देश भक्ति के नाम पर 15 अगस्त और 26 जनवरी पर स्कूल में बाँटने वाले  बूंदी के लड्डू ही याद थे !यहाँ से मैं खुद बदल गयी ! इंस्टिट्यूट में सर ,पढ़ाते और मेरा मन   रामलीला मैदान में होता ! अगर किसी ने भी गलती से आन्दोलन के खिलाफ कुछ कह दिया तो बस उसने नागिन के फन पर पैर रख दिया ! अगस्त की उमस के बीच सब कुछ निपटा कर रामलीला मैदान में पहुँच कर सान्स में सांस आती थी ! वहां से आन्दोलन आत्मा बन चूका था ! कुमार का मंच पर नेताओं की बखिया उधेड़ना , किरण की पाठशाला ,शाम को  अरविन्द का मीडिया से बात करना , और चेहरे पर मुस्कान लिए अन्ना ! मनीष का जन्लोक्पाल की जरुरत को समझाना ! इस क्रान्ति का सबसे बड़ा श्रेय मीडिया को जाता है ! 24 घंटे की न्यूज़ कवर ने ऐसा समा बाँधा कि देश झूम उठा ! उस माहौल में लोगो को छोटे मोटे रोज़गार भी  मिल गए ! तिरंगे का टैटू , अन्ना टोपी , तिरंगा , सबकी बाढ़ सी आ गयी ! देशभक्ति इस कदर सवार हुई कि मैं घर में हरा,सफ़ेद,केसरिया रंग ले आई और रोज़ घर से  ही तिरंगा बना कर जाने लगी ! शर्म ?? कहाँ थी ? और क्यों हो? जब युवा आधुनिकता के नाम पर शरीर पर ज़हरीले टैटू गुद्वाता है , तो वो तो तिरंगा था ! अब वहां पहुँच तो जाती,पर आने का मन नही होता था ! देर शाम हो जाती ! यहाँ से एक युद्ध का आगाज़ हुआ, जो घर में करना होता था ! जब तक शौक था वो खुश रहे, जैसे ही   नशा बना , रो क  टोक  भी शुरू हो गयी ! पर जब सर पर जूनून सवार हो जाए, तो वो ऐसे नही उतरता ! इसी बीच जन्लोक्पाल तो जन्लोक्पाल , आन्दोलन तो आन्दोलन , अन्ना तो अन्ना , पलंग के सिराहने  पर अरविन्द का एक फोटो चिपक गया ! अब घर वालों को और चिढाना था , तो  भतीजी को इसकी भनक लगा दी , बस बात जंगल  में आग की तरह  फ़ैल गयी ! अब बाप बेटी में जो तनी उस जंग का बिगुल आयए दिन बजता रहता है ! अनसन के दिन बढ़ते गए , सरकार के माथे पर शिकन आई ! बातचीत के दौर फिर  शुरू हुए ! इन सबमे सबसे ज़हरीले बिच्छू चिदम्बरम और सिब्बल साबित हुए ! जहाँ लगता प्रणव दा के साथ बात बन रही है, वहीँ ये डंक मार देते ! इन सब में फिर एक दिन किरण बेदी ने सांसदों की   नकल  कर दी ! सांसदों को आईने में अपनी शक्ल  इतनी  नागँवार गुजरी कि, पूरी संसद तिलमिला गयी ! शरद यादव , तो तपते तवे पर बैठ गए !इस वक़्त देश में ऐसा  माहौल था , कि अन्ना के लिए एक शब्द सुनना किसी को मंज़ूर नही था ! और मनीष तिवारी न जाने किस गुरूर में उन्हें भ्रष्टाचारी कह गए ! मनीष तिवारी की हालत ऐसी कर दी कि उन्हें इसके लिए माफ़ी मांग कर अपने पाप धोने पड़े ! अन्ना की तबियत ढीली पड़ने लगी ! चिंता बढ़ने लगी !एक दिन मैदान में अचानक पुलिस बल बढ़ गया ,  और बात फैली कि अन्ना को रात को जबरन अस्पताल ले जाया जाएगा ! भयंकर तनाव का माहौल  बन गया ! कोर टीम से लेकर जनता तक सुन्न हो गयी ! उस दिन की अन्ना की बातें मैं आज तक नही भूली न   कभी भूल पाऊँगी ! अन्ना ने माइक लिया और कहा कि अगर मुझे ले जाया जाए , तो तुम सब ले जान मत देना , रास्ता रोक लेना ! पर शायद थोड़े देर बाद ही , अन्ना को एहसास हो गया कि भावुक भीड़ से खतरनाक कुछ नही होता ! और अन्ना ने फिर माइक लिया और कहा कि अगर ये लोग मुझे ले जाएँ , तो ले जाने देना ! कोई हिंसा नही करेगा ! अहिंसा ही हमारी ताक़त है ! उस दिन मैं इस आन्दोलन में पहली बार रोई  ! प्रधानमंत्री में अन्ना को सलाम कहा उनके जज्बे के लिए और अनशन तोड़ने की अपील की ! पर अन्ना नही माने ! संसद ने 2 दिन काम किया और तमाम नौटंकी के बीच वादा किया की जन्लोक्पाल आएगा ! प्रधानमंत्री ने लिखित में वादा किया अन्ना से और देश से कि जन्लोक्पाल बनायेगे ! इसी भरोसे पर अनशन तोड़ दिया गया ! पर यहाँ से मुसीबतों का आना शुरू हुआ ! आस्तीन के सांप निकलते गए !  भ्रश्त्ताचार के खिलाफ लड़ने वालों को भ्रष्टाचार में फ़साने की साजिश शुरू हुई ! अरविन्द पर  लाखों  का बाकाया न  चुकाने का इलज़ाम लगा, कुमार पर कॉलेज में गैर हाजिर होने का आरोप,किरण पर हवाई यात्राओं में हेरा फेरी का, मनीष पर एनजीओ के फर्जीवाड़े का, प्रशांत शांति भूषण को ज़मीन घोटाले में ! कुल मिलाकर ऐसा कहर आया, कि उन दिनों जिस तनाव से गुजरे  बताया नही जा सकता ! फिर बारी आई 25 जुलाई के अनशन की ! लगभग एक साल बीत गया और साबित हो  गया कि हम एक ऐसे देश में रह रहे है जहाँ का प्रधानमंत्री सबसे कम भरोसे लायक है !अगस्त और जुलाई के बीच का ये वक़्त बहुत उतार चढ़ाव भरा रहा ! टीम बिखर गयी, अन्ना का रवैया बदल गया, अरविन्द का संघर्ष , और असमंजस में फसे हम समर्थक और आन्दोलनकारी ! पढ़ाई वधाई सब धुल खा रही थी ! जुलाई के अनशन में मैंने भी अनशन करने की ठानी, क्यूंकि अरविन्द अनशन पर बैठ रहे थे ! मनीष और गोपाल राय अनशन पर बैठे ! अन्ना ने अनशन नही रखा था ! अरविन्द को सुगर की दिक्कत है ! डॉक्टर ने कहा 2 दिन भी नही झेल  पायेंगे ! पर अनशन खींचता चला गया ! मैं कभी अपने घर से खासतौर से माँ से दूर दुसरे कम्र्रे में नही सोयी थी ! जुलाई अनशन के वक़्त तक  भी मैं किसी को निजी तौर पर नही जानती थी ! कोई कार्यकर्ता नही दोस्त नही था ! फेसबुक की आभासी दुनिया में थे ! मैंने घर पर बोला मैं अनशन रखूंगी ! सबसे बुरी तरह बिदक गए ! शायद सोचा की टेंशन से चित चल गया ! पर मैं अड़ गयी कि जाने दो  वरना घर पर  पानी भी नही पाउंगी ! पर सब अकड़ गये ! मैंने फैसला सुना दिया कि बताने आई थी, मैंने पूछा नही था ! मैं सबसे बिना पूछे सुबह 7 बजे निकल गयी ! रात को जब नही आई तब पता चला की मैं अनशन पर गयी ! और इस तरह खबर बनी कि सबसे युवा अनशन कारी बगावत करके अनशन पर आई ! 4 दिन किसी का फ़ोन नही उठाया ! रात को इतना सा भी डर नही लगा ! अरविन्द मनीष गोपाल वहीँ रुकते थे  ! कार्यकर्ता भी होते थे ! इतनी  सुकून की नींद कभी घर में भी नही आई ! बाद में धमकी का दौर शुरू हुआ और अनशन या मुझमे से एक को चुनने वाले अंदाज़ के साथ ये ख़त्म करना पड़ा ! घर आ गयी , गुस्से में और 2 दिन भूखे निकाल दिए ! फिर पर रो जंतर मंतर जाना नही रुका ! पापा की बात न मानने का ये नतीएज़ निकला कि इसके ढाई महीने बाद तक हमने बात नही की !  इस अनशन में  अरविन्द मनीष गोपाल और बाद में अन्ना ने अनशन करके आत्मा जलाई पर , सरकार ने चूं तक नही की ! 25 बुद्धिजीवी लोगों ने अरविन्द और बाकी सबसे अपील की अनशन तोडने  की और राजनैतिक विकल्प देने की ! एक दिन अन्ना अचानक स्टेज पर आये और अनशन तोड़ने की बात कह दी और और बोल दिया की हम राजनैतिक विकल्प देंगे पर आपको लोगों से ज्यादा से ज्यादा पक्ष में हाँ कहल्वानी होगी ! सब सकते में आ गए ! जल्दबाजी और हडबडाहट में लिया ये फैसला भविष्य में क्या दिन दिखाएगा ,कोइ नही जानता था ! 3 दिन के एस एम एस पोल के बाद फिर अन्ना ने हफ्ते भर का अल्टीमेटम दे दिया कि ज्यादा से ज्यादा हाँ आपको राजनीतिक  विकल्प दे सकता है ! यहाँ से हम जुट गए ! सेक्टर से लेकर, मेट्रो स्टेशन तक, मेट्रो से  लेकर सब्जी मंदी,छोटे मोटे बाज़ार , मॉल एक वो जगह नही छोड़ी जहाँ लोगों से मैसेज नही कराये ! 7 दिन निकले ,और मेहनत के बाद अन्ना ने एक दम से कदम पीछे हटाते हुए , पार्टी को अरविन्द क फैसला बता दिया और पार्टी  बनाने से मना  कर दिया  ! यहाँ से खटास घर करने लगी ! 26 अगस्त को भरतपुर में मेरा एग्जाम था ! मैं रात को 3 बजे निकली, अगले दिन घेराव था प्रधानमंत्री निवास और भाजपा अध्यक्ष गडकरी और सोनिया का ! 9:30 से एग्जाम था, पर मन तो यहाँ था  ! भरतपुर में पापा के जान्ने वाले किसी  अंकल के यहाँ  गयी और न्यूज़ देखने लगी ! इसी बीच बेदी जी ने अलग रंग दिखाते हुए घेराव से इन्क्कार कर दिया ,  क्यूंकि वो गडकरी के घर के घेराव के खिलाफ थी ! साथ ही हमारी कुलीन आन्दोलनकारी ने कह दिया कि इस तरह सड़क पर आन्दोलन के खिलाफ है ! भले अन्ना न आये पर ये प्रदर्शन इतना ज़बरदस्त सुपर डुपर हिट रहा कि पुलिस को दिन में तारे दिख गये ! अरविन्द, कुमार ,मनीष ,संजय सिंह ,गोपाल के साथ मुट्ठी भर कार्यकर्ताओं ने दिल्ली को हिला दिया ! गोर्रिल्ला युद्ध हुआ ! न आते दीखते थे न जाते !
और अब सबको बहुत ही कठोर निर्णय के लिए तैयार होना था  ! अन्ना अलग हो रहे थे ! अचानक अन्ना कब इतने दूर हो पता  ही नही चला ! अन्ना को समझाने के सब दौर असफल रहे ! अरविन्द भारी तनाव से गुज़रे ! अन्ना के रोज़ खुद के बयान काटने  की आदत ने खीज बढ़ा दी ! आलम ये हुआ कि मैं अन्ना के बयान पर खूश होने की बजाय दुसरे बयान का इंतज़ार करती ! कहीं न कहीं अन्ना खुद अपने विश्वसनीयता को ठेस पहुंचा रहे थे ! और एक दिन अन्ना ने कह दिया कि वास्ता  ख़त्म ! न नाम लो मेरा न चेहरा ! वही नाम जो हमारी जुबां पर चढ़कर अन्ना हुआ , और जो  हमारे लेने  के बाद आसमान छू गया ! अन्ना ने सब बेरुखी के साथ ख़त्म किया ! कहते हैं कोई रिश्ता बेरुखी के साथ ख़त्म हों  तो उसकी टीस नही मिटती !आगे  वही हुआ ! अन्ना जिस उम्मीद को जल्दबाजी में ही पर सपना बनाकर जनता की आँखों में सजा गये थे,यूज़ हकीकत बनाना अरविन्द के कन्धों पर आ  गया ! अरविन्द इस जगह जितने मजबूत हुए, शायद पहले क्कभी   नही थे ! अन्ना अनाथ सा बना कर छोड़ गए थे , अरविन्द ने वारिस का फ़र्ज़ निभाया , और २ अक्टूबर को पार्टी की घोषणा हो गयी ! ज़श्न का मौका  था  ! निर्णय लिया ग्या कि 26 नवम्बर को पार्टी लॉन्च हो गी ! अब इसके आधार का काम शुरू हुआ ! इतने थोड़े वक़्त में पूरा संविधान,, विज़न , और  वेबसाइट का काम ! उफ़ ! एक दिन पहले काम आया कि पूरी  वेबसाइट को हिंदी में करनी  है !25 तारिख की शाम को काम करने बैठी और सुबह 9 तक मैंने पूरा संविधान और वेबसाइट हिन्दी में ट्रांसलेट कर दी ! वो रात किन किन यादों से गुज्रारकर सुब्बह तक पहुंची , मैं ही जानती हूँ ! भावनाओं, का पूरा जोर था ! 5 अप्रैल को जो लड़ाई अन्ना और बाकी साथियों के साथ शुरू की, वो खूबसूरत पड़ाव पर थी , पर सब साथ नही  थे ! पर ख़ुशी थी कि हमारा भरोसा जीत गया ! 26 तारीख को ऐसा जश्न मना कि कुछ याद नही रहा , सिवा इसके कि हम "आप" में बदल गए थे ! पर लड़ाई तो अब शुरू हुई ! नवोदित पार्टी को  जड़ फलाये खड़ीपार्टियों के साथ खड़ा होना था !
लड़ाई जारी है...........जारी रहेगी..............हमेशा ...................
    " मैं सिपाही हूँ कलम की,मुझे वही रहने दो,
आन्दोलन को अपनी स्याही से बुलंद आवाज़ देने दो  "                                                                                           ,
                                                                                                    

20 comments:

  1. Always a pleasure reading your writings...be it your tweets or this. Keep going! :)

    ReplyDelete
  2. too good Chanchal, keep it up.

    ReplyDelete
    Replies
    1. कुछ ऐसाही हाल मेराभी था, बस तुम सब दिल्ली में और हम यहां महाराष्ट्र में. आप ने हम सबको बांधकर रखा है.
      खुशनसीब है हम जो अरविंद जैसे इन्सान का साया पड गया और जिंदगी सुनहरी हो गयी.

      Delete
  3. Thanks for this wonderful blog Chanchal. Andolan se lekar party tak ke ek ek lamhe ki yaad tazza dila di.

    ReplyDelete
  4. superb - Hats off to all of you - keep going -
    sach aur sahas hai jiske man me ....ant me jeet usi ki hai......

    wish...kaash mai bhee whan hota.......

    "स्वर-लय-ताल छीन लो चाहे ,प्राणों से भैरव गायेंगे ,
    हम भी अगर नहीं बोले तो खुद को क्या मुहँ दिखलायेंगे ..."

    ReplyDelete
  5. I salute your spirit .. India is lucky to have daughters like you ..

    ReplyDelete
  6. आपका ब्लॉग पढ़ते ही हर घटना आँखों के सामने एक फिल्म की तरह चलने लगी, इस आन्दोलन ने इन दो वर्षों में ना जाने कितने लोगों की ज़िंदगी बदल दी है। मेरी ज़िंदगी के यह दो वर्ष मैं कभी नहीं भूलूँगा क्यों की हम सबने मिलकर इन दो वर्षों में भारत की दूसरी आज़ादी की नींव डाल दी है जिस पर भारत के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण होने वाला है,आप आजादी की इस दूसरी लड़ाई में एक अहम् भूमिका निभा रही हैं आपको मेरी तरफ से बधाई है।

    twitter- @djjpn

    ReplyDelete
  7. Ye Andolan ne kitne logo ki Jindgi Chin li...lekin unlogo se Andolan koi nahi Chin paya.

    आज आन्दोलन की तश्वीर दिखी तो सोचा भुला दू ...लेकिन करे तो क्या करे क्योंकि
    अगर "AAP" होते भुलाने के क़ाबिल ..... तो होते कहां दिल ... लगाने के क़ाबिल !!

    Keep up the good work Sharma ji :)

    ReplyDelete
  8. so inspirational for all Indian specially youth..Saraswati maa blessed you herself...Keep it up good work.. I salute you..

    ReplyDelete
  9. आपको कोटि कोटि साधुवाद, माता सरस्वती की असीम अनुकम्पा है आप पर... आप सच में "आप" के लिए वरदान है.

    ReplyDelete
  10. Good,Brave Soldier of Indian Politics.

    ReplyDelete
  11. Chanchal, from today onwards, I m a big fan of yours...
    Gr8 words by gr8 deshbhakt....
    Jai Hind...
    Jai Bharat...

    ReplyDelete
  12. Arvind Cong team B hai...tum pde likhe log hokr bhi ni smj rhe to aam duniya kya smjegi.. Ask him Ford se funding ati h ya nai? Delhi me protest kia or kaha bills ni deposit krwao but manish, bhushans, AK , Vishwas...sbne due dt se pehle khud k bills krwaye.. Rasdev ko dhokha dia, Muslim votebnk politcs strt ki, Kashmir pe controversy ki muslims k votes jitne k ly, Vandey mataram bnd kr dia, nd bharat mata ki pic hta di...... Dats more thn enough to see his real face.. open ur eyes young frns

    ReplyDelete