आन्दोलन से जुड़कर हमारे लिए जंतर मंतर एक मंदिर के बराबर हो गया ! वही पहला और आखिरी सच ! वहां पर होते धरने प्रदर्शन, आन्दोलन सब हमें "मैं" से "हम" और हम से "आप" बन गये ! पर वो तो एक तस्वीर थी ! एक पूर्ण तस्वीर ! उस तस्वीर में भरने वाले रंग ,उसे बनाने वाले चित्रकार , कैनवास , सब कहीं और थे ! वो तस्वीर पर दावा नही करते ! कभी नही कहते ,कि जिस तस्वीर को तुम सराह रहे हो , उसमे हमारे पसीने , नींद , परिवार , और निजी चंद पलों की कुर्बानी भी मिली है ! इस आन्दोलन को कार्यकर्ताओं ने सब कुछ दिया है, पर ये लोग भी वो हैं,जिनकी रविवार की भी छुट्टी नही होती, क्यूंकि छुट्टी दफ्तर में होती है,देश को बचाने वाले मोर्चे पर नही !
गाज़ियाबाद के कौशाम्बी मेट्रो स्टेशन से उतरकर एक सीधी सड़क जाती है ! एक दम कोने में रोड के अंत में "पीसीआरएफ" से "आमआदमीपार्टी" बनने की कहानी कहती एक तिमंजिला इमारत है ! वहां पहुंचाने वाले रिक्शे दाम बताने में भी शर्माते हैं !सामने झुग्गी झोपड़ियाँ हैं ! उन झुग्गी झोपड़ियों को देख कर यकीन नही आएगा ,कि वो एक पार्टी के ऑफिस के सामने हैं ! मगर वो लोग वहां बहुत सुकून से रहते हैं ,बिना किसी डर से ! क्यूंकि सामने की इमारत में हर शख्स उनके लिए लडने वाला है, उनसे लड़ने वाला नही !
पास में एक चाय की दुकान है ! उस पर काम करने वाला इस्लाम ऑफिस के एक हिस्से की तरह है ! ऑफिस में चाय वहीँ से आती है ! जब वो चाय लेकर आता है, तो बिलकुल एक दम उसी अंदाज़ में जैसे कोई अपने घर में आता है ! कोई डर, संकोच नही ! होगा भी क्यों ? वो वही परिवार है, जो पार्टी बनने से पहले भी वहीँ रहता था !
जब मैं पहली बार पीसीआरएफ गयी, तो यकीन नही आया, कि भाजपा कांग्रेस को चुनौति देती हमारी नवअंकुरित पार्टी का ये कार्यालय है ! पर जब अन्दर गयी, तो समझ आया ,वाकई यही हो सकता है ! लोहे का काला सा गेट , अन्दर जाते हुए एक आँगन ,जो बिलकुल मेरे घर का एहसास देता है ! नीचे के मंजिल पर सामने पहला कमरा पड़ता है ! पहली टेबल पर बहुत सीधे साधे से दिखने वाले देसी "रिसेप्शनिस्ट" बैठते हैं ! ऑफिस में आने जाने वाले लोग उन्ही के पास आकर बैठते हैं ! बहुत ज्यादा फोर्मैलिटी नही होती ! स्वराज की किताबें, टोपी ,पार्टी विज़न सब वहीँ से मिलते हैं !
पास में दूसरा कमरा ! ये कमरा है जहाँ आन्दोलन के पीछे काम करने वाले शख्स बैठते हैं ! यहाँ बहुत सी टेबल है, प्लास्टिक की कुर्सियां ! कार्यकर्ता और ऑफिस में काम करने वाले लोग यहाँ आये दिन मिलने वाली नई नयी चुनौतियों से जूझते हैं ! मगर यकीन मानिए हंस कर ! वहां के ठहाकों की गूँज आप भुला नही सकते ! कौन इस कुर्सी पर बैठेगा, कौन इस वाले प्लग में लैपटॉप का ,फ़ोन चार्जर लगाएगा , कौन आज चाय पिलाएगा , पेप्सी किसने बोली थी पिलाने की, लंच कैसे बाँट कर खाना है, सबसे बड़ी लड़ाई कि अगर कोई पहली मंजिल पर जा रहा है तो पानी भर के ले आएगा , पर यकीन मानिए वो पानी कभी आता नही था , क्युकी रास्ते में उसकी बूँद बूँद बाँट जाती थी ! ऊपर के कमरे में अरविन्द बैठते हैं,जो की जब वहां नही होते तब भी अपना एहसास नही ले जा पाते ! उस ऑफिस के कुछ लोगों के बारे में आप यहाँ जान सकते हैं ! कोशिश करुँगी कि सही बता सकूं !
मनीष , इन्हें सब जानते हैं बहुत अच्छे से ! इनकी "चोर की दाढ़ी में ........" वाली बात ने संसद हिला दी थी ! पूरी पार्टी में शायद वही हैं जो अरविन्द के साथ पहले दिन से इस लड़ाई में कदम से कदम मिलाकर बिलकुल बराबर लड़ रहे हैं ! पर आज तक वो होड़ नही दिखी , कि कभी अरविन्द से ऊपर या उनके बराबर भी नाम रखने की चाह की हो !एक दम निस्वार्थ भाव ! अरविन्द और उनके बीच का सामंजस्य देखते ही बनता है ! सूती कुरता , बिना प्रेस की पेंट, हाथ में साइड में भूरे रंग का टैब , घिसी चप्पलें और सबसे ख़ास चेहरे पर कभी न मिटने वाली मुस्कान ! उनके बारे में एक हंसी वाली बात है कि मेरी बड़ी बंहन मुझसे कहती है कि इतनी धुप में घूमने के बाद भी मनीष इतने गोरे हैं और अगर धुप में नही घुमते तो कैसे होते ! पूरा मीडिया से जुडा काम , उम्मीदवार चयन प्रक्रिया, 10 विधानसभा , जनसभाएं और भी तमान काम , पर चिडचिडाहट का नामो निशाँ नही ! उन्हें जब भी किसी कार्यकर्ता से बात करते देखा है, इतनी ही सौम्यता के साथ !
दिलीप बाबू, या कहिये हमारे "पाण्डे जी" ! 32 साल के हैं, पर इनके बालों ने रूठ कर इनका साथ छोड़ दिया ! इनका भी हरा कुरता, हाथ में टैब ! पर इनकी पहचान है इनके वो सारे चुटकले , जिन पर मैं हंसंना नही भी चाहूं , तो हंसी आ ही जाती है !आधे से ज्यादा मुझ पर होते हैं ! बहुत बुरे वाले ! उम्मीदवार चयन समिति के सचिव रहे ! वैसे पार्टी से जुड़े बहुत जरुरी काम और फैसले इनसे ही जुड़े हैं ! हंसी मज़ाक की बात छोड़ दूं, तो बेहद सौम्य, सरल, शांत और सुलझे हुए ! बहुत देश घूमे, पर वापिस अपनी ही जगह आ गए,या कहिये इन्हें हम ही झेल सकते हैं ;) ! जिसके साथ बैठते हैं , उनकी ही उम्र के हो जाते है ! हमेशा कहत्ते हैं कि ऐसी कोई गलती नही करना चाहता जिससे गुस्सा होकर अरविन्द को मेरी वजह से एक भी सिंगल कैलोरी ख़र्च करनी पड़े !
"बिभव"<<<<<जय हनुमान " बिलकुल डिट्टो लक्षण हैं !अरविन्द की आँख खुलने से लगने तक, ये साया है उनका ! बीवी बहुत ही बढ़िया होते अगर औरत होते ! अविन्द कहाँ , कब ,कैसे जायेंगे किस्से मिलेंगे , सबका हिसाब किताब इनके पास है ! मीडिया में कौन किस्से बात करेगा , इनके पास हिसाब है ! मेरे एक ट्वीट का जितना अच्छा प्रमोशन इन्होने किया ,कोई नही कर सकता था ;) !
"अंकित लाल" <<<<<< जितनी उलझने इसके चेहरे पर रहती है, उतनी पज़ल गेम में भी नही होती ! शादी कर तो ली,पर एक नही दो ! एक दुल्हन घर में है , और दूसरी "आजादी " ! आजादी को खुश रखने के चक्कर में घरवाली के साथ नाइंसाफी ! इसे देखकर लगता है , कि वाकई आज़ादी कुरबानी मांगती है ! पर हाँ लाख मुसीबतों के बाद भी लगा पड़ा है , दोनों को खश रखने में ! लोग इसे समझ नही पाते, पर ये सारा वक़्त उन्हें समझाने और समझने में ही लगा रहता है ! इंजीनिअर है, बहुत कुछ और हो सकता था , पर आन्दोलन की लू ऐसी लगी, संघर्ष का हैजा हो गया !
राम भाई .... लक्षण ऐसे है नही ;) दरअसल राम वाला शांत भाव नही है ! एक दम देसी आदमी ! जब बोलते हैं , तो पहले खुद ही समझ ले वो काफी है ! राजधानी की रफ़्तार इनके शब्दों में है ! फ़ोन के फंक्शन से दुखी से रहते हैं ! कभी लैपटॉप का चार्जर नही मिलता , कभी उसे लगाने वाली पिन ! पार्टी के डेटा से जुडी हर पर्ची पर गिद्ध की नज़र रखते हैं ! जहाँ एक भी पर्ची दिख गयी इधर उधर , धक् हो जाते हैं !
ऋषि भैया ! वकील हैं पेशे से , पर दिल से सिर्फ आन्दोलनकारी ! सबसे गज़ब है , इनकी चाल ! समझ लो मॉडल मजबूरी में रैंप पर न चलकर आन्दोलन में चल रहा है ! कहते हैं अरविन्द की डाट का सबसे ज्यादा प्रसाद इन्हें ही मिला है !
अश्वती दी ! वो एक शख्स नही मिला जिसने इनकी तारीफ़ नही की हो ! बहुत कुछ करके भी कुछ लोग , उसका दिखावा नही करते ! सादगी है शख्सियत में , लेकिन प्रभावपूर्ण ! अरविन्द के साथ काम करने वालों में ये बात खुद ब खुद आ जाती है ! पीसीआरेफ़ की आबो हवा कुछ है ही ऐसी !
<<<<<<स्वराज की पतली वाली किताब कहाँ है ,मोती वाली नही मिल रही, वहां से इतनी टोपी के लिए फ़ोन आया है, मुझे इतनी टोपी चाहिए , उम्मीदवार वाले फॉर्म कहाँ मिलेंगे, फॉर्म जमा कहाँ होंगे, लोकल प्रभारी की पर्ची नही मिल रही,उसे फ़ोन कर लो, अरे उनका फ़ोन आया !>>>>>>> ये आवाजें यहाँ की पहचान हैं !
पार्टी ऑफिस में काम करने वाले लोग अब भी उतने ही सादे हैं, जितने किसी आन्दोलन के हो सकते हैं ! बाहर से देखने पर कभी कभी इनका व्यवहार बहुत लोगों को थोड़ा नागवार गुज़रता है ! किसी को दम्भी लगते हैं,कोई कहता है गुरूर है ! पर किस बात का गुरूर ? इस बात का कि सब बड़े-बड़े पेशेवर हो सकते थे,पर खानापूर्ति कमा कर आन्दोलन में झुंके पड़े हैं या इस बात का कि अंतरराष्ट्रीय छुट्टी पर इन्हें छुट्टी नही मिलती, या इस बात का कि एक तलवार हमेशा लटकी रहती है ,कि इनसे अनजाने में भी हुई एक छोटी सी गलती पूरी पार्टी को मुसीबत में डाल सकती है !
चलिए आपको एक सैर करा दी , मेरे मंदिर की ! वो बात अलग है ,कि आजकल वहां से भगवान नदारद है ! पर सेना तो अब भी लगी पड़ी है ! ब्लॉग पढने के बाद मार पड़ने वाली है !
( <<<<कहानी यहीं ख़त्म नही होती,, अभी कई किरदार बाकी है,उनसे मूलाकात अगले चरण में >>>>>)
गाज़ियाबाद के कौशाम्बी मेट्रो स्टेशन से उतरकर एक सीधी सड़क जाती है ! एक दम कोने में रोड के अंत में "पीसीआरएफ" से "आमआदमीपार्टी" बनने की कहानी कहती एक तिमंजिला इमारत है ! वहां पहुंचाने वाले रिक्शे दाम बताने में भी शर्माते हैं !सामने झुग्गी झोपड़ियाँ हैं ! उन झुग्गी झोपड़ियों को देख कर यकीन नही आएगा ,कि वो एक पार्टी के ऑफिस के सामने हैं ! मगर वो लोग वहां बहुत सुकून से रहते हैं ,बिना किसी डर से ! क्यूंकि सामने की इमारत में हर शख्स उनके लिए लडने वाला है, उनसे लड़ने वाला नही !
पास में एक चाय की दुकान है ! उस पर काम करने वाला इस्लाम ऑफिस के एक हिस्से की तरह है ! ऑफिस में चाय वहीँ से आती है ! जब वो चाय लेकर आता है, तो बिलकुल एक दम उसी अंदाज़ में जैसे कोई अपने घर में आता है ! कोई डर, संकोच नही ! होगा भी क्यों ? वो वही परिवार है, जो पार्टी बनने से पहले भी वहीँ रहता था !
जब मैं पहली बार पीसीआरएफ गयी, तो यकीन नही आया, कि भाजपा कांग्रेस को चुनौति देती हमारी नवअंकुरित पार्टी का ये कार्यालय है ! पर जब अन्दर गयी, तो समझ आया ,वाकई यही हो सकता है ! लोहे का काला सा गेट , अन्दर जाते हुए एक आँगन ,जो बिलकुल मेरे घर का एहसास देता है ! नीचे के मंजिल पर सामने पहला कमरा पड़ता है ! पहली टेबल पर बहुत सीधे साधे से दिखने वाले देसी "रिसेप्शनिस्ट" बैठते हैं ! ऑफिस में आने जाने वाले लोग उन्ही के पास आकर बैठते हैं ! बहुत ज्यादा फोर्मैलिटी नही होती ! स्वराज की किताबें, टोपी ,पार्टी विज़न सब वहीँ से मिलते हैं !
पास में दूसरा कमरा ! ये कमरा है जहाँ आन्दोलन के पीछे काम करने वाले शख्स बैठते हैं ! यहाँ बहुत सी टेबल है, प्लास्टिक की कुर्सियां ! कार्यकर्ता और ऑफिस में काम करने वाले लोग यहाँ आये दिन मिलने वाली नई नयी चुनौतियों से जूझते हैं ! मगर यकीन मानिए हंस कर ! वहां के ठहाकों की गूँज आप भुला नही सकते ! कौन इस कुर्सी पर बैठेगा, कौन इस वाले प्लग में लैपटॉप का ,फ़ोन चार्जर लगाएगा , कौन आज चाय पिलाएगा , पेप्सी किसने बोली थी पिलाने की, लंच कैसे बाँट कर खाना है, सबसे बड़ी लड़ाई कि अगर कोई पहली मंजिल पर जा रहा है तो पानी भर के ले आएगा , पर यकीन मानिए वो पानी कभी आता नही था , क्युकी रास्ते में उसकी बूँद बूँद बाँट जाती थी ! ऊपर के कमरे में अरविन्द बैठते हैं,जो की जब वहां नही होते तब भी अपना एहसास नही ले जा पाते ! उस ऑफिस के कुछ लोगों के बारे में आप यहाँ जान सकते हैं ! कोशिश करुँगी कि सही बता सकूं !
मनीष , इन्हें सब जानते हैं बहुत अच्छे से ! इनकी "चोर की दाढ़ी में ........" वाली बात ने संसद हिला दी थी ! पूरी पार्टी में शायद वही हैं जो अरविन्द के साथ पहले दिन से इस लड़ाई में कदम से कदम मिलाकर बिलकुल बराबर लड़ रहे हैं ! पर आज तक वो होड़ नही दिखी , कि कभी अरविन्द से ऊपर या उनके बराबर भी नाम रखने की चाह की हो !एक दम निस्वार्थ भाव ! अरविन्द और उनके बीच का सामंजस्य देखते ही बनता है ! सूती कुरता , बिना प्रेस की पेंट, हाथ में साइड में भूरे रंग का टैब , घिसी चप्पलें और सबसे ख़ास चेहरे पर कभी न मिटने वाली मुस्कान ! उनके बारे में एक हंसी वाली बात है कि मेरी बड़ी बंहन मुझसे कहती है कि इतनी धुप में घूमने के बाद भी मनीष इतने गोरे हैं और अगर धुप में नही घुमते तो कैसे होते ! पूरा मीडिया से जुडा काम , उम्मीदवार चयन प्रक्रिया, 10 विधानसभा , जनसभाएं और भी तमान काम , पर चिडचिडाहट का नामो निशाँ नही ! उन्हें जब भी किसी कार्यकर्ता से बात करते देखा है, इतनी ही सौम्यता के साथ !
दिलीप बाबू, या कहिये हमारे "पाण्डे जी" ! 32 साल के हैं, पर इनके बालों ने रूठ कर इनका साथ छोड़ दिया ! इनका भी हरा कुरता, हाथ में टैब ! पर इनकी पहचान है इनके वो सारे चुटकले , जिन पर मैं हंसंना नही भी चाहूं , तो हंसी आ ही जाती है !आधे से ज्यादा मुझ पर होते हैं ! बहुत बुरे वाले ! उम्मीदवार चयन समिति के सचिव रहे ! वैसे पार्टी से जुड़े बहुत जरुरी काम और फैसले इनसे ही जुड़े हैं ! हंसी मज़ाक की बात छोड़ दूं, तो बेहद सौम्य, सरल, शांत और सुलझे हुए ! बहुत देश घूमे, पर वापिस अपनी ही जगह आ गए,या कहिये इन्हें हम ही झेल सकते हैं ;) ! जिसके साथ बैठते हैं , उनकी ही उम्र के हो जाते है ! हमेशा कहत्ते हैं कि ऐसी कोई गलती नही करना चाहता जिससे गुस्सा होकर अरविन्द को मेरी वजह से एक भी सिंगल कैलोरी ख़र्च करनी पड़े !
"बिभव"<<<<<जय हनुमान " बिलकुल डिट्टो लक्षण हैं !अरविन्द की आँख खुलने से लगने तक, ये साया है उनका ! बीवी बहुत ही बढ़िया होते अगर औरत होते ! अविन्द कहाँ , कब ,कैसे जायेंगे किस्से मिलेंगे , सबका हिसाब किताब इनके पास है ! मीडिया में कौन किस्से बात करेगा , इनके पास हिसाब है ! मेरे एक ट्वीट का जितना अच्छा प्रमोशन इन्होने किया ,कोई नही कर सकता था ;) !
"अंकित लाल" <<<<<< जितनी उलझने इसके चेहरे पर रहती है, उतनी पज़ल गेम में भी नही होती ! शादी कर तो ली,पर एक नही दो ! एक दुल्हन घर में है , और दूसरी "आजादी " ! आजादी को खुश रखने के चक्कर में घरवाली के साथ नाइंसाफी ! इसे देखकर लगता है , कि वाकई आज़ादी कुरबानी मांगती है ! पर हाँ लाख मुसीबतों के बाद भी लगा पड़ा है , दोनों को खश रखने में ! लोग इसे समझ नही पाते, पर ये सारा वक़्त उन्हें समझाने और समझने में ही लगा रहता है ! इंजीनिअर है, बहुत कुछ और हो सकता था , पर आन्दोलन की लू ऐसी लगी, संघर्ष का हैजा हो गया !
राम भाई .... लक्षण ऐसे है नही ;) दरअसल राम वाला शांत भाव नही है ! एक दम देसी आदमी ! जब बोलते हैं , तो पहले खुद ही समझ ले वो काफी है ! राजधानी की रफ़्तार इनके शब्दों में है ! फ़ोन के फंक्शन से दुखी से रहते हैं ! कभी लैपटॉप का चार्जर नही मिलता , कभी उसे लगाने वाली पिन ! पार्टी के डेटा से जुडी हर पर्ची पर गिद्ध की नज़र रखते हैं ! जहाँ एक भी पर्ची दिख गयी इधर उधर , धक् हो जाते हैं !
ऋषि भैया ! वकील हैं पेशे से , पर दिल से सिर्फ आन्दोलनकारी ! सबसे गज़ब है , इनकी चाल ! समझ लो मॉडल मजबूरी में रैंप पर न चलकर आन्दोलन में चल रहा है ! कहते हैं अरविन्द की डाट का सबसे ज्यादा प्रसाद इन्हें ही मिला है !
अश्वती दी ! वो एक शख्स नही मिला जिसने इनकी तारीफ़ नही की हो ! बहुत कुछ करके भी कुछ लोग , उसका दिखावा नही करते ! सादगी है शख्सियत में , लेकिन प्रभावपूर्ण ! अरविन्द के साथ काम करने वालों में ये बात खुद ब खुद आ जाती है ! पीसीआरेफ़ की आबो हवा कुछ है ही ऐसी !
<<<<<<स्वराज की पतली वाली किताब कहाँ है ,मोती वाली नही मिल रही, वहां से इतनी टोपी के लिए फ़ोन आया है, मुझे इतनी टोपी चाहिए , उम्मीदवार वाले फॉर्म कहाँ मिलेंगे, फॉर्म जमा कहाँ होंगे, लोकल प्रभारी की पर्ची नही मिल रही,उसे फ़ोन कर लो, अरे उनका फ़ोन आया !>>>>>>> ये आवाजें यहाँ की पहचान हैं !
पार्टी ऑफिस में काम करने वाले लोग अब भी उतने ही सादे हैं, जितने किसी आन्दोलन के हो सकते हैं ! बाहर से देखने पर कभी कभी इनका व्यवहार बहुत लोगों को थोड़ा नागवार गुज़रता है ! किसी को दम्भी लगते हैं,कोई कहता है गुरूर है ! पर किस बात का गुरूर ? इस बात का कि सब बड़े-बड़े पेशेवर हो सकते थे,पर खानापूर्ति कमा कर आन्दोलन में झुंके पड़े हैं या इस बात का कि अंतरराष्ट्रीय छुट्टी पर इन्हें छुट्टी नही मिलती, या इस बात का कि एक तलवार हमेशा लटकी रहती है ,कि इनसे अनजाने में भी हुई एक छोटी सी गलती पूरी पार्टी को मुसीबत में डाल सकती है !
चलिए आपको एक सैर करा दी , मेरे मंदिर की ! वो बात अलग है ,कि आजकल वहां से भगवान नदारद है ! पर सेना तो अब भी लगी पड़ी है ! ब्लॉग पढने के बाद मार पड़ने वाली है !
( <<<<कहानी यहीं ख़त्म नही होती,, अभी कई किरदार बाकी है,उनसे मूलाकात अगले चरण में >>>>>)
:)
ReplyDeleteVande Matram!!!! Jai HO!!! Abhinandan !!!!
ReplyDeleteSorry to say but you missed a lots of people of your Mandir.
ReplyDeleteHere you go: Amit Mishar,Mitali Rishi, Jawae Bhaiya,Firoz Khan, Shalu and last but not the list Mehtaab.
By the way nice blog but you need to work a lot content writer sahiba :)
My Dear Sister/Beti
ReplyDeleteLong back a picture 'ANKUR' of Sadhu Mehar came. In the last a 4 yrs boy could recognize the difference between GOOD & BAD and threw a stone on a window where corrupt lived.
Good way of writing, I felt as a witness to the reality.
Here you have missed a character who is in , the heart of Kejri, a pillar of AAP no other than 'VIJAY BABA', he might be visiting there regularly. God bless you
Regards to your parents
Girish Chandra
girishc2011@gmail.com
GLORY in fighting for the Mother India
ReplyDeletethx for sharing insight..
DeleteWant to join U all and work with all of u but might not have same courage..
:)
ReplyDeletesuperb.........keep writing
ReplyDeletethank u :)
Deletevery heart warming indeed. Please write more of these. It will help us to struggle through.
ReplyDeletesure sir :)
ReplyDeleteNo words for praise.....
ReplyDeleteGr8 words...Vande Matram....
ब्लॉग है या काव्य व्यंग मैं भ्रमित सा हो रहा हूँ :)
ReplyDeletereally heart touching :)
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